उत्तर प्रदेश में बस्ती नाम का एक छोटा सा शहर है, जो अपने फर्नीचर उद्योग को लेकर सारी दुनिया में फेमस है जो यूपी की शान कहा जाता है बस्ती का फर्नीचर उद्योग उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख कुटीर एवं लघु उद्योग है, जिसकी पहचान पारंपरिक लकड़ी की शिल्पकला और कुशल कारीगरों के कारण पूरे प्रदेश में बनी हुई है। इस उद्योग ने न सिर्फ स्थानीय लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराया है, बल्कि बाहर के व्यापारियों और ग्राहकों का ध्यान भी आकर्षित किया है। उत्तर प्रदेश हम बस्ती जिले को ओडीओपी योजना में शामिल करने की बात इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि यह क्षेत्र हमेशा से ही ऐतिहासिक और सामाजिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण रहा है। कहा जाता है कि जब यहां मंदिर और मठ बनाए गए थे, तो कारीगरों द्वारा सजावट के लिए लकड़ी पर बारीक नक्काशी की गई थी। इस तरह यह कला पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ती गई और आज भी लोगों ने इसे जीवित रखा है। आज भी बस्ती के आसपास कई ऐसे गांव हैं, जहां का पूरा समुदाय लकड़ी के शिल्प की इस कला से जुड़ा हुआ है। लकड़ी के शिल्प की अद्भुत प्रतिभा यहां का लकड़ी का शिल्प सिर्फ फर्नीचर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें बहुत बारीक नक्काशी, सजावटी सामान, धार्मिक उद्देश्य के लिए पवित्र यंत्र बनाने के साथ-साथ वास्तुशिल्प डिजाइन भी बनाए जाते हैं। जटिल नक्काशीदार दरवाजे और खिड़कियाँ-विशेष रूप से मंदिरों और पारंपरिक घरों में उपयोग की जाती हैं। मंदिर और मूर्तियाँ-घरों और पवित्र स्थानों के लिए। हस्तनिर्मित फर्नीचर-जैसे लकड़ी की कुर्सियाँ, टेबल, सोफा, बिस्तर, अलमारियाँ, आदि। सजावटी सामान-दीवारों पर लटकने वाली वस्तुएँ, लकड़ी के खिलौने, पेन स्टैंड, फोटो फ्रेम, नेम प्लेटें, आदि सामान बनाए जाते हैं आज अपने इस लेख के माध्यम से हम आपको बस्ती के फर्नीचर उद्योग के बारे में विश्तार से बताएँगे और जानेंगे की लकड़ी की नक्काशी कैसे की जाती है। ।
क्या आप जानते हैं कि लकड़ी के शिल्प किस प्रकार की लकड़ी से बनाए जाते हैं?
लकड़ी से फर्नीचर बनाने के लिए मुख्य रूप से चार प्रकार की लकड़ी का उपयोग करते हैं शीशम की लकड़ी, सागौन की लकड़ी, अर्जुन और आम की लकड़ी और नीम और बबूल की लकड़ी।
जिनमें से सबसे पहले बात करते हैं शीशम की लकड़ी की, जिसका उपयोग इसकी आकर्षक स्थायित्व और सुंदरता के लिए सबसे अधिक किया जाता है; इससे निर्मित फर्नीचर लंबे समय तक टिकता है, लेकिन एक आकर्षक और अद्वितीय, शास्त्रीय रूप के साथ। अब सागौन की लकड़ी के बारे में, इसे लकड़ी का राजा कहा जाता है, क्योंकि यह अत्यधिक मौसम प्रतिरोधी और टिकाऊ होती है, जिसमें रेशमी ऊतक और सुंदर रंग होता है जो इसे देखने में काफी उत्तम बनाता है। अधिकांश अनुप्रयोग नावों और सजावटी टुकड़ों के निर्माण में उपयोग किए जाते हैं। अर्जुन और आम की लकड़ी हल्की होती है और इसका इस्तेमाल ज़्यादातर घरेलू सामान बनाने में किया जाता है। इन लकड़ियों को काटना बहुत आसान है और इस तरह कलात्मक और बिना किसी बाधा के डिज़ाइन बनाने में मदद मिलती है। इससे छोटे आकार के फ़र्नीचर के लिए बहुत ज़्यादा खास डिज़ाइन विकसित होते हैं। नीम और बबूल की लकड़ियाँ अपनी मज़बूती के लिए मशहूर हैं। इन लकड़ियों का इस्तेमाल चारपाई, हल और देहाती फ़र्नीचर जैसे कच्चे डिज़ाइन में किया जाता है। ये ज़्यादातर कीड़ों से सुरक्षित होती हैं और गाँव के इलाकों में इनका बेहतरीन इस्तेमाल होता है।
बस्ती के प्रमुख शिल्प केंद्र
बस्ती के कई गांवों और छोटे कस्बों में लकड़ी की कारीगरी का काम होता है, लेकिन कुछ खास इलाके इस कला के केंद्र बन गए हैं। इनमें निम्नलिखित नाम प्रमुख हैं:
गोरा-गोविंदपुर
परसरामपुर
कुदरहा
कप्तानगंज
रामनगर
इन इलाकों में कारीगर पारंपरिक रूप से घर पर ही छोटी-छोटी कार्यशालाओं में लकड़ी की वस्तुएं तैयार करते हैं। परिवार के सभी सदस्य-पुरुष, महिलाएं और बच्चे-काम में मदद करते हैं।
कारीगरों की मेहनत और कला के प्रति समर्पण
इलाके के कारीगर न केवल शारीरिक श्रम करते हैं, बल्कि उनकी अंतर्निहित रचनात्मकता भी कमाल की है। लकड़ी के किसी भी टुकड़े को देखते ही वे उसके आकार, साइज और उसे बनाने की प्रक्रिया की कल्पना करने लगते हैं। एक छोटे से खिलौने से लेकर भव्य मंदिर तक को आकार देने की उनकी क्षमता अविश्वसनीय है।
इसमें कारीगरों को कई हफ्तों की मेहनत करनी पड़ती है, जो कभी-कभी 10 से 15 दिनों तक चलती है, खासकर अगर बारीक नक्काशी या धार्मिक उपकरण बनाने की बात हो। यहीं पर आंखों की तेज, हाथों की निपुणता और वर्षों का अनुभव अपनी भूमिका निभाते हैं।
ओडीओपी योजना और सरकारी सहायता
उत्तर प्रदेश सरकार की एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के तहत बस्ती को लकड़ी के हस्तशिल्प के लिए चुना गया है। इस योजना में शामिल हैं:
कारीगरों के लिए प्रशिक्षण।
आधुनिक औजारों का प्रावधान।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके उत्पादों का विपणन।
शिल्प मेलों और प्रदर्शनियों में भागीदारी।
आर्थिक और ऋण सहायता योजनाएं।
इस योजना ने बस्ती के हजारों शिल्पकारों को एक नई पहचान दी है और उनकी आय में जबरदस्त सुधार किया है।
बस्ती वुडक्राफ्ट के लिए बाजार और निर्यात
बस्ती में बने उत्पाद सिर्फ उत्तर प्रदेश या भारत के सीमित क्षेत्र में ही नहीं बिकते, बल्कि इन दिनों इनका निर्यात भी हो रहा है। विभिन्न व्यापारी और शिल्प संगठन बस्ती के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भेज रहे हैं। दरअसल, अमेरिका, यूरोप, दुबई, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में इनकी मांग बढ़ रही है।
प्रशिक्षण स्थल और शिल्प विकास संस्थान
उत्तर प्रदेश सरकार की एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत बस्ती के आसपास कई शिल्प प्रशिक्षण केंद्र और संस्थान हैं जहाँ युवाओं को कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें सरकारी संगठन और कुछ गैर-सहयोगी संगठन भी शामिल हैं। प्रशिक्षण में पारंपरिक शिल्प के साथ-साथ आधुनिक डिज़ाइन भी शामिल हैं, जिसमें बाज़ार की मांग के अनुसार काम करने के तरीके भी शामिल हैं।
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